Sunday 22 January 2012

Maurya king - Re Maurya - मौर्य सम्राट

Chandragupta Maurya, Birla temple, Delhi - S. Deepak, 2011
Chandragupta Maurya, Birla temple, Delhi - S. Deepak, 2011
Chandragupta Maurya, Birla temple, Delhi - S. Deepak, 2011

Delhi, India: Birla temple was my play ground as a child, because my school was next door. I was fascinated by its statues and the persons they represented. I searched for books about them from Delhi Public library. That is how I had learned about the Maurya king and his famous chief minister Kautilya, who had unified India for the first time around 300 BC.


दिल्ली, भारतः बचपन में बिरला मन्दिर हमारे खेलने की जगह थी क्योंकि हमारा स्कूल साथ में ही था. मुझे वहाँ की मूर्तियाँ और उनसे जुड़ी कहानियाँ बहुत आकर्षित करती थीं. मैं फ़िर दिल्ली पब्लिक लायब्रेरी से उनके बारे में किताबें खोजता. इसी तरह से मैंने मौर्य सम्राट और उनके प्रधान मंत्री कौटिल्य के बारे में जाना था जिन्हों ने ईसा से करीब 300 वर्ष पहले भारत को एक किया था.

Delhi, India: Il tempio di Birla era il nostro campo giochi perché la mia scuola era accanto al tempio. Ero affascinato dalle statue e i personaggi che rappresentavano. Cercavo libri alla biblioteca pubblica di Delhi per conoscerli. Così avevo appreso del re Maurya e il suo primo ministro Kautilya, i quali avevano unificato India nel 300 a.c.

***



9 comments:

  1. Chandragupta Maurya! I have read about him in my History lessons :))

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    1. I think that the way we are taught history in INdia can be improved greatly .. it was one of my favourite subjects! :)

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  2. मेने चन्द्रगुप्त मौर्या और आचार्य चाणक्य के बारे में काफी कुछ पड़ा है , और में कह सकता हूँ कि ये दोनों हमारे लीजेंड हैं , लेकिन आज मुझे दुःख होता है की भारतीय इतिहास में इनके बारे कुछ नहीं बताया जाता , बस एक जगह पे इनका नाप छाप देते हैं बस , ये कोन थे , इन्होने क्या किया ,किन बाधाओं का सामना करते हुए अखंड और सक्तिशाली भारत का निर्माण किया था , आज की भाषा में कहे तो इन्होने सुपर पॉवर इंडिया का निर्माण किया था , जिसकी तरफ कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता था , वो भारत जिसके लोगों में रास्ट्रीयता की भावना भरी थी...
    अगर हमारी आने वाली पीड़ी को इनके बारे में नहीं बताया जायेगा तो वो कैसे इनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें सिर्फ दिल्ली सल्तनत काल और अंग्रेजों का ही इतिहास पड़ाया जाता है, तो इस से तो उन्हें यही लगेगा की हम हमेसा से गुलाम थे , और उनके अंदर हीन भावना आएगी .........

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    1. हरीश, मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ. इसी से मिलते जुलते विषय पर मेंने कुछ दिन पहले अपने अंग्रेज़ी ब्लाग पर भी लिखा था: http://kyabaat.blogspot.it/2012/11/colonization-of-minds.html

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  3. मेने चन्द्रगुप्त मौर्या और आचार्य चाणक्य के बारे में काफी कुछ पड़ा है , और में कह सकता हूँ कि ये दोनों हमारे लीजेंड हैं , लेकिन आज मुझे दुःख होता है की भारतीय इतिहास में इनके बारे कुछ नहीं बताया जाता , बस एक जगह पे इनका नाप छाप देते हैं बस , ये कोन थे , इन्होने क्या किया ,किन बाधाओं का सामना करते हुए अखंड और सक्तिशाली भारत का निर्माण किया था , आज की भाषा में कहे तो इन्होने सुपर पॉवर इंडिया का निर्माण किया था , जिसकी तरफ कोई आँख उठाकर नहीं देख सकता था , वो भारत जिसके लोगों में रास्ट्रीयता की भावना भरी थी...
    अगर हमारी आने वाली पीड़ी को इनके बारे में नहीं बताया जायेगा तो वो कैसे इनके बारे में जान पाएंगे, उन्हें सिर्फ दिल्ली सल्तनत काल और अंग्रेजों का ही इतिहास पड़ाया जाता है, तो इस से तो उन्हें यही लगेगा की हम हमेसा से गुलाम थे , और उनके अंदर हीन भावना आएगी .........

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