तो क्या शीर्षक देंगे आप इसे?
पिछली तस्वीर के लिए मुझे सभी शीर्षक भाये पर मुझे सबसे अधिक अच्छा लगा समीर जी का गीत!
Lethem, Rupununi, Guyana: A boat crossing the Takutu river, bringing persons back from Brazil to Guyana. What tile would you give to this picture?
For the last picture, I liked the title given by Samir, from an old hindi song that talked about a unknown guest at the door of the house.
Lethem, Rupununi, Guyana: Una barca attraversa il fiume Takutu, portando passeggeri dal Brasile. Quale titolo daresti a questa foto?
Per lultima foto, mi è piaciuto il titolo suggerito da Samir, preso da una vecchia canzone indiana che parla di un'ospite sconosciuto alla porta della casa.
नदिया के पार
ReplyDeleteअभी सफ़र बाकी है!!
--समीर लाल
इस चित्र को देख कर आनायास ही कुछ पंक्तियों ने जन्म ले लिया: नदी, शांत जल, विचारों में खोया यात्री……..:
ReplyDeleteमंजिल
नदिया की लहरें भी आकर
रोक रहीं हैं रस्ता मेरा…..
रुकी पवन भी ताक रही है,
कैसे डाले मुझपर घेरा……
मगर न रोक सकेगा कोई
मुझको मंजिल तक जाना है
कैसी भी मुश्किल आ जाये,
मुझको बस तुमको पाना है…
--समीर लाल ‘समीर’
सुनील जी चिटिंग है ये तो..!!
ReplyDeleteहमें तो आपके पिछले फ़ोटू में "उडन तश्तरी" की भनक भी नहीं पड़ी और..आपको उनका गाया गीत (जो कि वास्तव में है ही नहीं) भी पसंद आ गई..!!
हम नहीं खेलेंगे.
:(
अरे विजय भाई
ReplyDeleteखेलो खेलो; अच्छा आज की मेरी दो टिप्पणियों में से एक ले लो!! :)
विजय जी, मुझे क्षमा कीजिये. यह दोष मेरा है, दिमाग अधिकतर किसी न किसी सोच में पड़ा रहता है, सोचता कुछ हूँ और करता कुछ और! हालाँकि सठियाने में अभी कुछ साल हैं पर लक्षण अभी से शुरु हो गये हैं!
ReplyDeleteसुनील
मुसाफिर है यारो--
ReplyDeleteनाव भी है और साइकिल भी है मतलब यह कि लम्बे सफ़र की तैयारी करी गयी है। सारे बंदे चुस्त-दुरुस्त हैं। कोई सो नहीं रहा है। चलते रहने का - बढते रहने का जज़्बा है -
ReplyDelete"MILES TO GO" (BEFORE I SLEEP)
"दूर है किनारा" (मांझी खेते जाओ रे)
फ़िल्म आशीर्वाद का एक गाना याद आ गया, अशोक कुमार का गाया हुआ - नाव चली - नानी की नाव चली - नीना की नानी की नाव चली लम्बे सफ़र - सामान घर से निकाले गये - यहां से वहां से निकाले गये और नानी की नाव में डाले गये……एक छड़ी एक घड़ी एक संदूक एक बंदूक - पुराने जमाने में भी "रैप" गाया जाता था :)
समीर जी - हम ऐसे ही कोई भी टिप्पणी ले कर टरकने वालों में से नहीं हैं, हमें तो फ़र्स्ट आने वाली टिप्पणी ही चाहिये। आखिर हमारी भी तो फ़र्स्ट प्राईज़ वाली टिप्पणी तड़ी है.
ReplyDeleteसुनील जी - नहीं जी, ये सारा का सारा दोष उडन तश्तरी द्वारा फ़ैलाए गये प्रोपेगेण्डा का है। दरअसल उन्होने इतने सारे गीत, कविता, गद्य,शेर-शायरी कर रखे हैं कि कहीं भी उनमें से कुछ दिखा तो भोली-भाली जनता समीर जी को ही क्रेडिट दे डालती है। :)
मुझे तो डर है कि ब्लाग जगत में कविता-गीत वगैरह लिखने का कापीराईट वे अपने नाम ना लिखवा लें।
वैसे ये फ़ोटो को देख कर एक गीत याद आ रहा है -
ReplyDelete"देखी है पहली बार, नाव पे साईकिल सवार.."