Friday, 17 November 2006

Photo 2 - फोटो 2 - Foto 2

पोटारीनाउ, रुपुनूनी, गुयानाः पोटारीनाउ गाँव का विद्यालय चार वर्ष पहले खुला. उससे पहले बच्चों को सात मील दूर के विद्यालय में पैदल जाना पड़ता था. वहीं यह लड़की अपनी छोटी बहन के टेढ़े पैर मुझे दिखाने आई थी.
आप क्या शीर्षक देंगे इस तस्वीर को?

Potarinau, Rupununi, Guyana: The school in Potarinau opened four years ago. Before that students had to walk seven miles to the school in the next village. There, in the school this girl was waiting for me to show her baby sister's feet for a checkup.

Potarinau, Rupununi, Guyana: La scuola di Potarinau è stata aperta 4 anni fa. Prima gli studenti dovevano camminare 7 miglia per andare alla scuola nel villaggio vicino. Li, questa bambina mi aspettava per un controllo dei piedi di sua sorellina.





पिछली बार के शीर्षकों में से मुझे लगा कि मैंने स्वयं शीर्षक दिया होता तो कुछ "हसरतों की दुनिया" जैसा ही चुना होता पर मुझे अनुराग का "किस्तों की रोशनी" अच्छा लगा क्योंकि सबसे भिन्न है और सोचो तो बात में गहराई है.

For the last picture, the title that I liked most was "Light in instalments".

Per l'ultima foto, il titolo che mi è piaciuto di più era "Luce a rate".

3 comments:

  1. दीदी से आंखें मिलाने में एक संकोच सा हो रहा है, डर लगता है कि कहीं ऐसा कुछ ना पूछ ले या मांग ले जो मेरी क्षमता में होते हुये भी उसको दे ना पाऊं!

    बहुत सुंदर आंखे हैं - कुछ आशा है कुछ निराशा भी है - कुछ हौसला कुछ हताशा - लेकिन थकान बिलकुल नहीं है. छोटी सी उम्र में ही काफी परिपक्व और छोटी बहन की ज़िम्मेंदारियां उठाती हुयी.

    और गुड़िया रानी तो अपने में ही मस्त हैं - दीदी की दुनिया और उनकी दुनिया में कोई 'लिंक' नहीं है. लेकिन दीदी की गोद में काफी सुरक्षित सा महसूस कर रही है!

    परिपक्व बचपन और कच्चा बचपन.
    बचपन की गोद में पलता बचपन.
    उगता बचपन या डूबता बचपन.
    (मैं कविता नहीं कर रहा हूं :-) बल्कि यह सब दिखता है यहां....

    आपको क्या लगता है? मेरे ख्याल से तो इन दोनों की आंखों में सपने फिर भी एक से ही पल रहे होंगे.

    बचपन के सपने, पर संसाधनों की कमी से खो बैठे;
    "सपनों में बचपन"

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  2. दीदी की आँखों में माँ का ममत्व है. जिसमें आशा भी है,और छोटी बहन के स्वास्थय को लेकर चिंता भी.
    बहुत कम उम्र में ही छोटी बहन की जिम्मेदारी ने कितनी परिपक्वत्ता ला दी है. उसका इलाज शायद उनको उपलब्ध सुविधाओं में न भी संभव हो, मगर आप लोगों की आ जाने से फिर भी कहीं आशा की किरण है.

    "आशा की किरण"

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  3. अगर बहन बड़ी हो तो उसे बहुत जल्दी अपनी माँ की भुमिका में आ जाना पड़ता है, छोटे भाई बहनो कि जिम्मेदारी माँ द्वारा उसे सौंप दी जाती है.
    छोटे भाई बहनो के लिए भी उसका स्थान स्नेह और सम्मान लिए होता है, जो एक छोटे से शब्द 'दीदी' में समा जाता है.
    "दीदी" बस और कुछ नहीं.

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