Kathmandu, Nepal: In the news about the destruction in Uttarakhand (India), people talk of unbridled greed and exploitation of nature in the name of development. In a few days, people will forget all this and the destruction and corruption will continue unabated. The faith of millions remains restricted to the prayers in the temples or encouraging superstitions, casteism and conservative ideas. When and from where will come those who will link religion to modernity, including to the ideas of nature conservation and human rights? Today's images have temples from Kathmandu.
काठमाँडू, नेपालः उत्तराखँड में हुए विनाश के समाचारों में विकास के नाम पर मानव के सीमाहीन लालच और प्रकृति के विचारहीन शोषण की बातें हो रही हैं. लेकिन कुछ ही दिनों में लोग इन्हें भूल जायेंगे और लूटों तथा भ्रष्ठाचार के सिलसिले वैसे ही चलते रहेंगे. करोड़ों की धर्मनिष्ठा केवल मन्दिर में पूजा तक ही सीमित रह जाती है, या धर्म के नाम पर अँधविश्वास, जातिवाद और दकियानूसी बातों को बढ़ावा देती है. धर्म को नये आधुनिक राह दिखाने वाले जिसमें प्रकृति संरक्षण और मानव अधिकारों से जोड़ने वाले संदेश हों, कब और कहाँ से आयेंगे? आज की तस्वीरों में काठमाँडू के मन्दिर.
Kathmandu, Nepal: Nelle notizie sulla destruzione nello stato di Uttarakhand (India), le persone parlano di avidità e sfruttamento della natura senza limiti nel nome dello sviluppo. Fra qualche giorno, le persone lo dimenticheranno e la rapina e la distruzione continueranno come prima. La fede di milioni di persone resta confinato alle preghiere nel tempio e sostegno alle superstizioni, questioni di caste e idee conservative. Quando e da dove verranno quelli che collegheranno la religione alla modernità, compreso alle idee della salvaguardia della natura e dei diritti umani? Le immagini di oggi sono dei tempi di Kathmandu.
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you are right .
ReplyDeleteधर्म की राजनीति चमकाने का वक्त नहीं है ये !
हर बात को धर्म से क्यों जोड़ देते हैं ZEAL जैसे लोग?
शिखा जी, आप ने ठीक लिखा है. मैं तो यह भी सोचता हूँ कि हिन्दु धर्म के अनुसार धरती के कण कण में वही भगवान हैं, वही शक्ति माँ है, तो मूर्ति हटने से कहर गिरेगा जैसी बातें करना अन्धविश्वास ही नहीं, धर्म के भी विरुद्ध नहीं है क्या? जो लोग इस तरह की बातें करते हैं वह ऊपर से धर्म बचाओ की बात करते हैं, पर सचमुच उनका ध्येय लोगों को धर्मों, जातियो में बाँट कर उसका राजनीतिक फायदा उठाना है.
DeleteAnche il mio Nepal ha subito devastazioni nella zona sud occidentale. Che pena! Soono già lì con la mente anche se partirò a breve
ReplyDeleteMi dispiace, non avevo sentito le notizie sulla situazione in Nepal.
Deleteindeed Sir.. life will come back to normal even after these indications of disaster due to pushing Nature to its limit !!
ReplyDeleteThe Pictures of Kathmandu Temples are eye-catchy with their typical style similar to Pagodas
Thanks Mysay.in
DeleteThe temple in Kathmandu are unique. Perfectly captured Sir.
ReplyDeleteThank you Aam Junta :)
Deleteमंदिर निर्माण की ये शैली कभी भारत में नहीं दिखीं.. क्या ये विशुद्ध नेपाली शैली है, या...??
ReplyDeleteमैं स्वयं तो कभी उत्तरखँड या गढ़वाल की ओर नहीं गया, पर शायद वहाँ भी इससे मिलती जुलती निर्माण शैली है?
Deleteप्रशांत, उत्तराखँड में, गढ़वाल में,मन्दिर क्या कुछ इससे मिलते जुलते नहीं होते? मैं वहाँ कभी गया नहीं हूँ! :)
Deleteशायद आप ठीक कह रहे हैं.. पर विडंबना ये है कि मैं भी कभी उत्तराखंड नहीं गया.. और अब तो कुछ सालों तक जाउँगा भी नहीं...
Deleteइतनी तबाही के बाद, उधर जाने में डर लगना तो स्वाभाविक है, पर शायद लोग दो तीन साल में सब भूल जायेंगे!
Deleteधन्यवाद सरिता जी
ReplyDeleteGreat captures, as always...
ReplyDeleteThanks Meghana
DeleteAwesome post and great photos.
ReplyDeleteThanks Rupam
Deleteलेकिन कुछ ही दिनों में लोग इन्हें भूल जायेंगे और लूटों तथा भ्रष्ठाचार के सिलसिले वैसे ही चलते रहेंगे. करोड़ों की धर्मनिष्ठा केवल मन्दिर में पूजा तक ही सीमित रह जाती है, या धर्म के नाम पर अँधविश्वास, जातिवाद और दकियानूसी बातों को बढ़ावा देती है. धर्म को नये आधुनिक राह दिखाने वाले जिसमें प्रकृति संरक्षण और मानव अधिकारों से जोड़ने वाले संदेश हों, कब और कहाँ से आयेंगे? ---यही होता आ रहा है और होता रहेगा- बहुत सुन्दर सार्थक और सामयिक प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
बहुत सुंदर, कमाल
ReplyDeleteNice captures..... Life will come back to normal no doubt but the loss is still too much to forget......
ReplyDeleteये लय--सृष्टि---लय
ReplyDeleteका खेल तो चलता रहेगा ......
यही संसार है, प्रकृति है, माया है..
मानव कर्म से मुख न मोड, अतः-
मन की शान्ति हेतु,
मानव ने ही-
ईश्वर को बनाया है |
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....
ReplyDeleteकाठमांडू की याद ताज़ी हो गयी ...
आप सब को आप के सन्देशों तथा सराहना के लिए धन्यवाद - thanks to all of you for your comments and compliments
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