रब्बा! कितना खूबसूरत!!! मै सोच रही हूँ , जिस परमात्मा ने इस भू-खंड को रचा होगा, उसके हाथ कितने हरे भरे होंगे!!!! और आपके विज़न का तो कहना ही क्या!!!! सच्ची मज़ा आ गया!!! साथ बना रहे.
प्रकृति तो सुन्दरताओं से भरी है, लेकिन उसकी सुन्दरता की रक्षा करना कठिन है. हर जगह कँक्रीट के जँगल, फैक्टरियाँ, खानें बन जायेंगी तो यह प्रकति कहाँ जायेगी?
आपके इन खूबसूरत मंज़रों पर क्या लिक्खूं कि कलम पर रिक्क़त तारी है.! मुझे बेसाख्ता एक मिसरा' याद आ गया : "खूबसूरत है आँखें तेरी....." (आपकी) :) वाकई !!! कमाल का विज़न है जनाब! दा'द इन मंज़रों की! और दुआएँ आपकी दानिशमंदी को!!! साथ बना रहे.
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पहली तस्वीर में पानी कुछ ज्यादा ही शांत है :)
ReplyDeleteशायद पहाड़ी के ऊपर दूर से तस्वीर खींचने से अधिक शाँत लग रहा हो? :)
Deleteरब्बा!
ReplyDeleteकितना खूबसूरत!!!
मै सोच रही हूँ , जिस परमात्मा ने इस भू-खंड को रचा होगा, उसके हाथ कितने हरे भरे होंगे!!!!
और आपके विज़न का तो कहना ही क्या!!!!
सच्ची मज़ा आ गया!!!
साथ बना रहे.
प्रकृति तो सुन्दरताओं से भरी है, लेकिन उसकी सुन्दरता की रक्षा करना कठिन है. हर जगह कँक्रीट के जँगल, फैक्टरियाँ, खानें बन जायेंगी तो यह प्रकति कहाँ जायेगी?
Deleteआप की सराहना के लिए दिल से धन्यवाद :)
ऐ खुदा! तू उन नज़रों को लम्बी उम्र दे जिसने ये मंजर देखे हैं।
ReplyDeleteचिट्ठे लिखने वाले तो बहुत हैं, खुदा आप जैसे पढ़ने वालों को लम्बी उम्र दे! धन्यवाद देवेन्द्र जी :)))
DeleteThanks Ravikar ji :)
ReplyDeleteआमीन!
ReplyDelete(मेरी नज़रों को भी कोई, नज़ारा मिल गया होता) :)
आपके इन खूबसूरत मंज़रों पर क्या लिक्खूं
ReplyDeleteकि कलम पर रिक्क़त तारी है.!
मुझे बेसाख्ता एक मिसरा' याद आ गया :
"खूबसूरत है आँखें तेरी....." (आपकी) :)
वाकई !!! कमाल का विज़न है जनाब!
दा'द इन मंज़रों की!
और दुआएँ आपकी दानिशमंदी को!!!
साथ बना रहे.
लोरी जी, आप के लेखन में बहुत मिठास है, पढ़ कर मन को मुग्ध कर देता है. इतनी सुन्दर और मीठी बातों के लिए बहुत धन्यवाद :)
Deletegreat click, all the pics r really beautiful , nature at its bst :)
ReplyDeleteThanks Saikat
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