समझा नहीं.. आपने इसे ग़रीबी क्यों कहा..एक स्त्री है.. अपने घर और खेत में काम कर रही है.. उसके पास बच्चे हैं.. बकरियां हैं..प्रकृति का साथ है..आप शहर में लोगों को देखें.. जो प्रकृति के साथ.. जानवरों के साथ से वंचित हैं.. मैं भी उनमें से एक हूँ.. क्या हमारे जैसे लोग सच में अमीर हैं.. जो आने वाले सालों में पानी के लिये लड़ी जाने वाली लड़ाई में प्यासे मरेंगे..
अभय ने लिखा है कि इसमें गरीबी की क्या बात है. शायद यह तस्वीरें वह सब नहीं कह पातीं जो उनसे बात करके समझ में आया था. जब मैं इन तस्वीरों को देखता हूँ तो उन बातों को याद करके उन्हें दूसरे अर्थ देता हूँ!
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समझा नहीं.. आपने इसे ग़रीबी क्यों कहा..एक स्त्री है.. अपने घर और खेत में काम कर रही है.. उसके पास बच्चे हैं.. बकरियां हैं..प्रकृति का साथ है..आप शहर में लोगों को देखें.. जो प्रकृति के साथ.. जानवरों के साथ से वंचित हैं.. मैं भी उनमें से एक हूँ.. क्या हमारे जैसे लोग सच में अमीर हैं.. जो आने वाले सालों में पानी के लिये लड़ी जाने वाली लड़ाई में प्यासे मरेंगे..
ReplyDeleteअभय ने लिखा है कि इसमें गरीबी की क्या बात है. शायद यह तस्वीरें वह सब नहीं कह पातीं जो उनसे बात करके समझ में आया था. जब मैं इन तस्वीरों को देखता हूँ तो उन बातों को याद करके उन्हें दूसरे अर्थ देता हूँ!
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