That night, when the match finished, Italy had won and their joy was very public, however it was nothing compared to the pandemonium of last night after the finals. City administration had put up a giant tent with a giant screen for showing the match and it was full of Italians with their flag on their faces, chests, draped on their shoulders, in the colours of their hats.
And the horn blowing and fire crackers went on for the whole night. People were taking off their clothes and dancing, waving the Italian flag.
Yeet, this hero-worship is just for the night. The big football scandal with the magistrates digging up telephone conversations about match fixing is just behind the corner. And the public if fickle. Even during the match, when the Italian team didn't score a wining goal, there were some disgruntled fans singing, "Sapete soltanto rubare" (You only know how to steal). The scandal regarding Jidane was another reminder about the fickleness of hero-worship. According to Brazilian lip-readers, it seems that Matterazzi had said "figlio di puttana" (son of a whore) to earn that headbutt!
Separate rooms for Italian and German fans on the night of semifinals
Group of fans getting ready for the finals
Group of fans getting ready for the finals
Watching the match on the giant screen on the beach in Bibione
The joy after winning
बिबियोने में छुट्टियों का यह पहला सप्ताह फुटबाल की बातों में गुजरा है. हालाँकि इस खेल का कोई विषेश शौक नहीं है मुझे और बिबियोने आने से पहले केवल कुछ खिलाड़ियों के नाम जानता था, वह भी उनके खेल की वजह से नहीं बल्कि इसलिए देल पियेरो और तोत्ती जैसे लोग टेलिविज़न पर विज्ञपनों में अक्सर दिखते हैं. पर एक बार इटली सेमी फाइनल में पहुँचा तो आस पास के लोगों के उत्साह ने मुझे भी छू लिया.
बिबियोने में बहुत से जर्मन पर्यटक आते हैं. जिस दिन सेमी फाइनल का मैच था तो चारों ओर इतालवी झँडे दिख रहे थे. लोगों ने मुँह झँडे बनाये थे, कँधों पर झँडे ओढ़े थे, झँडे की टोपियाँ पहन ली थीं, उनके मुकाबले में जर्मन झँडे वाले इक्के दुक्के ही दिखाई दे रहे थे. कई रेस्टोरेंट वालों ने इतालवी और जर्मन झँडे अलग अलग कमरों में लगाये थे ताकि जर्मन लोग अलग जगह बैठ कर अपने लोगों के साथ मैच देख सकें. उस रात इटली के मैच जीतने पर बहुत हँगामा हुआ.
पर कल रात को तो बात ही कुछ और थी. समुद्र तट पर शहर वालों ने टैंट लगा कर उसमे सिनेमा के परदे जैसी टेली विजन की स्क्रीन लगायी थी. जब एक एक गोल करने के बाद इटली की टीम कोई गोल नहीं कर पा रही थी तो कई लोग गुस्से से अनाप शनाप बोल रहे थे, खिलाड़ियों को गालियाँ दे रहे थे, पर अंत में मैच जीतने के बाद सब कुछ भूल गये. सारी रात हँगामा चलता रहा.
दुनिया भर में मौजूद मेरे मित्रों ने बताया कि बहुत सी जगहों पर इटालियनों ने सारी रात कारों के होर्न्स बजा बजा कर जश्न मनाया, लोगों को सोने नही दिया, पर जीत है ही इतनी बडी, और २४ साल बाद, वो भी १९९४ की फायनल की हार के बाद। बहरहाल बधाइयाँ।
ReplyDeleteसुनिलजी बधाई. आपकी कर्मभूमि वर्ल्डकप जीत गई. आपके माध्यम से इटलीवासीयों को भी बधाई
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