Wednesday, 10 December 2008

For surviving - Per sopravvivere - जीने का सवाल

बोलोनिया, इटलीः बचपन में एक खेल खेलते थे, किसी को स्टेच्यू बोल दो तो उसे मूर्ती के समान स्थिर खड़ा होना पड़ता था और फ़िर जब तक उसे स्टेच्यू बोलने वाला मुक्ती न देता तब उसे यूँ ही रहना पड़ता. इसी खेल की याद आयी जब शाम को हम लोग क्रिसमस की खरीदारी करने को निकले थे तो सड़क पर मूर्ती बन कर खड़े युवक को देख कर रुक गये. क्रिसमस की खरीदारी, कि किसको क्या भेंट दी जाये, कई सप्ताह पहले से ही शुरु हो जाती है. हालाँकि सब लोग इस साल मंदी का रोना रहे हैं पर बाज़ार में भीड़ कम नहीं थी. सर्दी में लोग अपने मोटे कोटों में कँपकँपाते हुए जा रहे थे पर मूर्ती बने युवक ने बस एक स्वेटर पहना था और सर्दी ने बिना हिले खड़े रहना आसान नहीं होगा, शायद इसीलिए थोड़ी थोड़ी देर में वह अपनी मुद्रा बदल लेता था.

Bologna, Italy: As children we used to play a game called "statue", when you called someone statue that person had to stay still like a statue till he/she was released. Yesterday when we went out for our christmas shopping, I was reminded of this game when we stopped to look at a man playing a living statue. Even if people are talking about crisis but in the market it was crowded and people were huddled in thick jackets and overcoats. But the statue-man didn't have any coat and probably to escape the biting cold, after a few minutes he changed position.

Bologna, Italia: Da bambini giocavamo "statua", e quando chiamavi un compagno di gioco "statua", lui/lei doveva fermarsi come una statua finché veniva liberato. Ieri sera quando siamo andati in centro ho visto l'uomo statua e ho pensato a questo gioco. Anche se si parla tanto di crisi, le strade erano affollate come sempre. Le persone portavano giacche e cappotti per ripararsi dal freddo, tranne l'uomo statua che era esposto al freddo e per non congelare, ogni tanto cambiava la sua posizione.











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4 comments:

  1. शरीर पर रंग भी पुता है जो ठण्डक के लिहाज से शायद और कष्टपूर्ण हो । बनारस में नक्कटैय्या(सूर्पनखा की नाक काटने की रामलीला) के मेले में 'लाग' सजाये जाते हैं जिनमें ऐसे ही कष्ट से बच्चे गुजरते हैं । क्या देखने वाले लड़के के लिए पैसे छोड़ते हैं?

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  2. यह किसी का विज्ञापन कर रहा है या सीधे ही पैसे माँग रहा है? कलाकार है, ठंड भी इसकी परीक्षा ले रही है.

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  3. नहीं कोई विज्ञापन नहीं कर रहा था, बस पैसे माँग रहा था और उसके सामने रखे हैट में कोई पैसे डालता तो वह तुरंत मुद्रा बदल कर उसे धन्यवाद देता.

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  4. आदमी पेट के लिए क्या नहीं करता। यहाँ आज कल शादी की पार्टियों में इसी तरह मूर्ति बन कर लोगों को खड़ा करने का फैशन चल निकला है। एक शादी में गए तो महाराजा, शंकर-पार्वती, राधा-कृष्ण और भी तकरीबन सात लोग मूर्तियाँ बन खड़े थे।

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Daily 3 new images from around the world with a brief reflection in English, Hindi and Italian - Thanks in advance for your comments - Grazie in anticipo per i vostri commenti - आप की टिप्पणियों के लिए धन्यवाद

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