Quito, Ecuador: a boy selling icecreams. The thinking that childhood is for studing, playing and development of mind and body, came up after the second world war. However, the laws prohibiting child labour seem to think that parents do not love their children because they send them to work. Such a way of thinking that does not consider the role of poverty, can have only limited impact.
कीटो, एक्वाडोरः आईसक्रीम बेचने वाला बच्चा. बचपन काम के लिए नहीं, बल्कि पढ़ने, खेलने, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए है, यह सोच द्वितीय महायुद्ध के बाद धीरे धीरे बनी है. पर बच्चों को काम करने से रोकने वाले कानून शायद यह सोचते हैं कि बच्चों के माता पिता अपने इन बच्चों का बुरा चाहते हैं जो उन्हें काम पर लगा देते हैं. जब तक गरीबी के उपाय नहीं मिलेंगे तब तक इस तरह के कानूनों का पालन कठिन होगा.
Quito, Ecuador: Bimbo vende gelati. Il pensiero che l'infanzia non è per lavorare ma è per studiare, giocare, e dare possibilità al corpo e alla mente di svilupparsi, è nato dopo la seconda guerra mondiale. Comunque, le leggi che proibiscono il lavoro minorile, sembrano basate sul presupposto che i gentiori di questi bimbi non amano i propri figli. Affinché non si ragionerà sul ruolo della povertà, queste leggi possono avere soltanto un impatto limitato.
क्या सोच रहा हैं बालक? यही की काश वो भी खेलते कुदते आइस्क्रिम की मांग करता. पर यहाँ वह स्वयं बेच रहा हैं. जिद किससे करें.
ReplyDeleteभुखो मरने से तथा भीख मांगने से अच्छा हैं बच्चे काम करे. पर कितना?
फ़िर्फ़ कानून से कुछ नहीं होने वाला . समस्या बहुत बड़ी है . उपाय भी वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ा और सर्वसमावेशी होना चाहिए . बच्चे सम्पूर्ण मानवता का बीज हैं . रवीन्द्रनाथ ने तो कहा भी है,'हर बच्चा यह संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी मनुष्य से निराश नहीं हुआ है'.
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