लंदन की पिकाडिल्ली सर्कस में लगी इरोज़ की मूर्ती को देख कर हमेशा मन में कामदेव की छवि उभरती है. 1893 में बना यह फुव्हारा, द्वितीय महायुद्ध के बाद पिकीडिल्ली सर्कस के मध्य से हटा कर एक किनारे पर कर दिया गया था.
The Eros statue in the Piccadilly circus in London, always makes me think of Kamdev, a god from Indian mythology. The fountain built in 1893, was shifted after the second worldwar from the centre of the square to its present position.
La statua di Eros nella piazza di Piccadilly circus a Londra, mi fa pensare a Kamdev, un dio dalla mitologia indiana. La fontana costruita nel 1893, fu spostata dopo la seconda guerra mondiale, dal centro della piazza alla sua attuale posizione.
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Cupid , Eros' and Kaamdev--the resemblance is striking ! All three equipped with same arms n' ammunition.
ReplyDeleteमुझे ये शिल्प बहुत भाते है...
ReplyDelete"सर्कस" या सर्कल? या शब्द को समझने में मुझ से चुक हो रही है?
सर्कस शब्द सर्कल से ही बना है. समय के साथ भाषा का प्रयोग बदल जाता है. पुरानी जगहों के नामों से इस परिवर्तन को देखा जा सकता है.
ReplyDeleteअच्छा ये महाशय को इरोज़ कहते हैं!
ReplyDeleteBehtreen shilp ka namuna hai...
ReplyDeleteमनुष्य (होमोसेपियन्स) का उद्भव एक ही है। जब भी वह तार्किक तरीके से सोचेगा तो उसका निष्कर्ष समान या उस के आसपास ही होगा।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट।
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