वियेना, आस्ट्रियाः ट्यूलिप के फ़ूलों की बात हो तो यश चोपड़ा की "सिलसिला" के अमिताभ और रेखा की याद आना स्वाभाविक है. नाज़ुक से यह फ़ूल मुझे दूर से ही अच्छे लगते हैं, करीब से देखो तो उनकी आरी जैसे कटी पँखुड़ियाँ मुझे अच्छी नहीं लगती. यह तस्वीरें करीब एक माह पुरानी हैं.
कल के वियेना के गुरुद्वारे में हुए खून खराबे के समाचार से बहुत दुख हुआ. इसके बारे में पढ़ा तो मन में विचार आया कि बाबा नानक ने तो जातपात से ऊपर उठने की बात की थी, पर शायद जाति का जहर हम भारतीयों के खून में गहरा बसा है?
Viena, Austria: I like the tulip flowers from a distance, they look delicate and have beautiful colours. From closer up, the jagged edges of the petals make me uneasy.
Vienna, Austria: Mi piacciono i tulipani ma solo da lontano. Sembrano molto delicati e hanno belli colori. Da vicino, i bordi fatti a sega dei petali, mi fanno sentire un po' a disagio.
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पहली तस्वीर सुन्दर है. नजदीक की कोई तस्वीर होती तो काँटे भी देख लेते...
ReplyDeleteजात-पात को दूर करने के प्रयास 2500 साल पहले से हो रहे है. महावीर, बुद्ध, दयानंद, नानक सभी आंशिक सफल ही हुए. भारत की एक मानसिकता है, जो नहीं बदल सकती.
बहुत सुन्दर फोटो!
ReplyDelete¡बोनितास फोटोस !
beautiful! in the spring of '07 i witnessed these beauties in Sri Nagar;Kashmir.
ReplyDeleteसुंदर चित्र माला!
ReplyDeleteआपसे और संजय से सहमत, ये फूल दूर से ही अच्छे लगते हैं, जातिवाद एक मानसिकता है हम भारतियों में से इसे निकाला नहीं जा सकता।
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