Valdagno, Italy: Situated in the valley of Agno river in the Alps mountains, the tiny city of Valdagno had the wool factories in the nineteenth century belonging to an industrialist family called Marzotto. With time Marzotto industries changed. Today they are involved in yarn and clothe and their industries spread from eastern Europe to China. However Valdagno still carries the signs of its industrial history. Today's images have some statues from the Favorita gardens, which was started in 1927 as a kind of kitchen garden for growing vegetables for the mess of the factory workers.
वल्दान्यो, इटलीः एल्पस पहाड़ों में आन्यो नदी की घाटी में बसे छोटे से शहर वल्दान्यो में उन्नीसवीं शताब्दी में मार्जोत्तो उद्योगपती परिवार ने ऊन की फैक्टरी लगायी जिसे व्यवसायिक सफलता मिली. समय बीता, सदियाँ बीतीं और समय के साथ मार्जोत्तो उद्योग भी बदला. आज मार्जोत्तो उद्योग कपड़े और धागे बनाता है और उसकी फैक्टरियाँ पूर्वी यूरोप से ले कर चीन तक फ़ैली हैं. पर वलदान्यो में आज भी उसके उद्योगिक इतिहास के चिन्ह हर ओर दिखते हैं. आज की तस्वीरों में वल्दान्यों के फावोरिता बाग से कुछ मूर्तियाँ. इस बाग में कभी खेत होते थे जहाँ उनकी फैक्टरी में काम करने वालों के लिए सब्जियाँ उगायी जाती थीं.
Valdagno, Italia: Situato nella valle del fiume Agno nelle Alpi orientali, nel diciannovesimo secolo la piccola cittadina di Valdagno aveva le fabbriche di lana della famiglia Marzotto. Con tempo le industrie Marzotto sono cambiate. Oggi sono coinvolte nella produzione di tessuti e le sue fabbriche estendono dall'Europa orientale alla Cina. Comunque, Valdagno continua a portare i segni della sua storia industriale. Le immagini di oggi hanno alcune statue dai giardini La Favorita, costruito nel 1927 come orto per la mensa della fabbrica Marzotto.
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खेत हो या खलिहान, सुन्दरता और कला विद्मान रहती थी/है. यह सबसे सुन्दर पक्ष है. तस्वीरें सुन्दर ली है.
ReplyDeleteमूर्तियों में देख रहा हूँ मानव की आँखें पुतलियों बिना की है. ऐसा तब बनाया ही जाता था. मगर सिंह की पुतलियाँ हैं, ये अन्दर की ओर गड्डा कर बनाई जाती थी. पता नहीं, यह भेद क्यों रखते होंगे?
संजय तुमने मूर्तियों को बहुत गहराई से देखा:)
Deleteमूर्तियों की आँखों का अन्तर क्यों है यह मुझे नहीं मालूम, हो सकता है कि दो विभिन्न शिल्पकारों ने बनाया इसलिए या फ़िर शायद मानव और पशु मूर्तियों को गढ़ने की शैलियों में अन्तर था?
मुझे आँखों के फर्क में यह वज़ह दिखती है कि मूर्तिकार मानव को खयालों में डूबा, शेर को चौकन्ना दिखाना चाहता था।
ReplyDeleteवाह, कितना कवितामय विचार! :)
Deleteलेखक हों या चित्रकार या कलाकार, हमेशा देखने वाले उसमें अर्थ खोज लेते हैं, जो कलाकार ने शायद उस तरह से न सोचा हो या उसके अवचेतन मन में हो?
धन्यवाद देवेन्द्र
:)
Deleteदेवेन्द्र के विचार से सहमत नहीं हूँ, मगर कवितामय जो विचार उन्होनें रखा है वह बहुत सुन्दर है.
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